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कर्नाटक में BJP के लिए मुसीबत बन गए थे अनंत कुमार हेगड़े? पार्टी ने काटा टिकट

राहुल गांधी से लेकर संविधान संशोधन समेत कई मुद्दों पर अनंत कुमार हेगड़े ने विवादित बयान दिए हैं.

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"चुनावी कमान लोगों को भड़काने वाले हेगड़े से दूसरे हेगड़े को दे दी गई है, जो एक सज्जन व्यक्ति हैं." भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पांच बार के मौजूदा सांसद अनंत कुमार हेगड़े को टिकट नहीं मिलने और उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट का टिकट कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को दिए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में यही चर्चा है.

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हेगड़े को उस सीट से टिकट देने से इनकार करने का बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय, जिसका वह 1996 से प्रतिनिधित्व कर रहे (सिर्फ 1999 में उन्हें कांग्रेस के मार्गरेट अल्वा ने हराया था) वास्तव में कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

हेगड़े ने अल्पसंख्यकों के साथ-साथ संविधान को लेकर भी विवादास्पद और उग्र बयान दिए हैं, जो उनके खिलाफ गए. हालांकि, उन्हें फर्क नहीं पड़ा, वो भी तब जब पार्टी ने उनके बयानों से किनारा कर लिया, लेकिन फिर भी वो टिकट पाने की उम्मीद कर रहे थे.

बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने कहा, "टिकट नहीं मिलना उनके लिए एक झटका है, वो 10 मार्च को संविधान में संशोधन को लेकर दिए गए अपने बयान के बाद शांत हैं, जिसने पार्टी को परेशान कर दिया है. हालांकि, सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स उनके पक्ष में एकजुट हो रहे हैं."

अनंत हेगड़े ऐसे राजनीतिज्ञ व्यक्ति हैं, जो 1996 से हर बार दो वजहों से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं: उनकी मजबूत दक्षिणपंथी विचारधारा और पार्टी के भीतर कोई प्रतिस्पर्धी नहीं था. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए उन्हें उत्तर कन्नड़ से टिकट देना जारी रखना भी सही था. दरअसल, उत्तर कन्नड़, वो निर्वाचन क्षेत्र है, जिसे दक्षिण कन्नड़ और उडुपी-चिक्कमगलुरु के साथ, कर्नाटक और दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र में हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है.

एक हव्यक ब्राह्मण (उत्तरा कन्नड़ के मूल निवासी; हव्यक शब्द की उत्पत्ति हव्यगा या हवेगा जैसे शब्दों से हुई है, जो एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताता है जो होम और शाही अनुष्ठान करता है), 56 वर्षीय हेगड़े को इस क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा था.

उनके खिलाफ आम शिकायत यह थी कि वह हर पांच साल में केवल एक बार आते हैं, यानी जब चुनाव की घोषणा होती है.
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हेगड़े के विवादित बयान

10 मार्च को अपने निर्वाचन क्षेत्र सिद्धपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, हेगड़े ने आरोप लगाया कि केंद्र में पिछली कांग्रेस सरकारों ने संविधान में इस तरह से संशोधन किया था कि हिंदू हाशिए पर चले गए.

"संविधान में संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि कांग्रेस ने इसे मौलिक रूप से बदल दिया है, अनावश्यक प्रावधान पेश किए हैं, जो हिंदू समुदाय को कमजोर करते हैं. इस परिवर्तन को प्राप्त करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है."
अनंत हेगड़े, सांसद, बीजेपी

उन्होंने संवैधानिक संशोधनों को लागू करने के लिए ऐसे बहुमत की आवश्यकता का हवाला देते हुए, आगामी लोकसभा चुनावों में 400 से अधिक संसदीय सीटें सुरक्षित करने के लिए बीजेपी के लिए जनता का समर्थन मांगा.

हालांकि, बीजेपी ने तुरंत इस बयान से खुद को दूर कर लिया और कहा कि ये हेगड़े की निजी टिप्पणियां थीं, जबकि कांग्रेस ने पार्टी पर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास करने का आरोप लगाया और बीआर अंबेडकर के दृष्टिकोण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया.

यह दूसरी बार था, जब हेगड़े ने संविधान में संशोधन का जिक्र किया था. 2017 में भी, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री के रूप में, उन्होंने संविधान को बदलने का सुझाव दिया था.

"हम संविधान का सम्मान करेंगे, लेकिन संविधान कई बार बदला है और भविष्य में भी बदलेगा. हम यहां संविधान को बदलने के लिए हैं और हम इसे बदल देंगे."
अनंत हेगड़े, सांसद, बीजेपी
उसी कार्यक्रम में, उन्होंने लोगों से अपने धर्म या जाति की पहचान करने का आग्रह किया और धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वालों का मजाक उड़ाया.
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2014 में केंद्रीय मंत्री बनने के बाद, वह तब चर्चा में आए, जब उन्हें उत्तर कन्नड़ के सिरसी में एक निजी अस्पताल में एक डॉक्टर को थप्पड़ मारते हुए कैमरे में रिकॉर्ड किया गया, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी मां पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया था, जो घर में गिरने के बाद कई फ्रैक्चर से पीड़ित थीं. फुटेज में दिख रहा था है कि वह डॉक्टर का गला पकड़ कर उसे दीवार पर पटक रहे हैं.

2018 में हेगड़े को अपनी उस टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ज्यादातर लोग कन्नड़ नहीं जानते. पुत्तूर निर्वाचन क्षेत्र में कौशल विकास पर एक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए हेगड़े ने कहा कि उत्तर कन्नड़, दक्षिण कन्नड़ और शिवमोग्गा के लोगों को छोड़कर, कर्नाटक के लोग "उचित कन्नड़ नहीं जानते."

इससे न केवल कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ताओं और साहित्यकारों बल्कि पार्टी के कई लोगों को भी नाराजगी का सामना करना पड़ा. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जो कर्नाटक के प्रभारी थे, ने उन्हें केंद्रीय नेतृत्व की नाराज के बारे में बताया था, जिसके बाद हेगड़े को माफी मांगनी पड़ी थी.

जनवरी 2019 में, केंद्रीय मंत्री के रूप में, उन्होंने केरल सरकार को निशाने पर लिया, जब सबरीमाला मंदिर में 40 साल की दो महिलाओं के प्रवेश पर विवाद खड़ा हो गया और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा था, "मैं कहना चाहूंगा कि यह हिंदू लोगों के साथ दिनदहाड़े रेप है."

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कुछ दिनों बाद, वह एक और विवाद में फंस गए, जब उन्होंने कोडागु में हिंदू जागरण वेदिके की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हमें अपने समाज की प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना होगा. हमें जाति के बारे में नहीं सोचना चाहिए. अगर किसी हिंदू लड़की को कोई हाथ छूता है, तो उस हाथ का अस्तित्व नहीं रहना चाहिए."

उस वक्त कर्नाटक कांग्रेस इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने हेगड़े की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि वह "सतर्कता रहने को कह रहे थे."

राव ने हेगड़े की उपलब्धियों और योगदान पर सवाल उठाया था और कहा था कि यह निंदनीय है कि ऐसे लोग मंत्री बनने और निर्वाचित होने में कामयाब रहे. हेगड़े ने जवाब में राव का जिक्र करते हुए कहा, "एक लड़का जो एक मुस्लिम महिला के पीछे भागता है (राव ने एक मुस्लिम से शादी की है)."

इस साल जनवरी में हेगड़े के बयानों ने भी बवाल खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को "बूटलिकर" कहा था. कर्नाटक में कुछ युवाओं के सीरिया में इस्लामिक स्टेट में शामिल होने की खबरों पर हेगड़े ने कहा, "कर्नाटक आतंकवादियों का घर बनता जा रहा है. अगर सिद्धारमैया आगे बढ़ें और भविष्य में कसाब जयंती मनाएं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा."

नवंबर 2017 में जब सिद्धारमैया सरकार ने टीपू जयंती (मैसूर योद्धा टीपू सुल्तान की जयंती, जिन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी) मनाई, तो हेगड़े चाहते थे कि उनका नाम निमंत्रण कार्ड से हटा दिया जाए. हालांकि, सिद्धारमैया ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि प्रोटोकॉल में राज्य के केंद्रीय मंत्रियों को आमंत्रित करने की शर्त है.

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उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 'हाइब्रिड नमूना' बताया, जिनके पिता मुस्लिम और मां ईसाई हैं, लेकिन खुद को ब्राह्मण कहते हैं. 2016 में कर्नाटक के सिरसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हेगड़े ने कथित तौर पर इस्लाम की तुलना "आतंक के टिक-टिक करते टाइम बम" से की थी, जिसे खत्म करने की जरूरत है.

1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के तुरंत बाद हेगड़े ने बीजेपी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया. उनके खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और दुश्मनी को बढ़ावा देने का मामला दर्ज किया गया था.

1994 में, उन्होंने पुलिस घेरा तोड़ दिया और हुबली के ईदगाह मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराया. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार, जो चुनावों के दौरान उम्मीदवारों के हलफनामों का मिलान करता है, हेगड़े ने घोषणा की कि उन पर धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण कार्य करने जैसे आरोप हैं.

उम्मीदवारी में बदलाव का कोई विरोध नहीं

अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के विपरीत, जहां बीजेपी को उम्मीदवारों को बदलने के लिए असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, हेगड़े के टिकट नहीं मिलने का अब तक कोई विरोध नहीं हुआ है. लेकिन पार्टी की चिंता यह है कि क्या सौम्य कागेरी उस सीट को बरकरार रख पाएंगे, जो इन सभी वर्षों में पार्टी के लिए हमेशा एक निश्चित जीत थी.

कागेरी 2023 के विधानसभा चुनावों में उत्तर कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र सिरसी से हार गए थे, और कहा जाता है कि उनकी पहुंच उनके निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित है. हेगड़े ने 2019 के संसदीय चुनावों में जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवार आनंद असनोतिकर को हराकर चार लाख के अंतर से जीत हासिल की थी.

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कांग्रेस उस सीट को हथियाने की कोशिश कर रही है, जो 1996 तक उसका किला रही थी.

जी देवराय नाइक को टिकट देने से इनकार करने के बाद पार्टी हार गई, जिन्होंने 1980 से 1996 तक इसका प्रतिनिधित्व किया था. कांग्रेस ने बेलगावी जिले के खानापुर से पूर्व विधायक अंजलि निंबालकर को टिकट दिया है, जो कित्तूर के साथ उत्तर कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. उनकी पार्टी बेलगावी के दो विधानसभा क्षेत्रों से मराठा वोटों पर भरोसा कर रही है.

ऐसी रिपोर्ट्स है कि बीजेपी हेगड़े को 2023 के विधानसभा चुनावों की तरह ही इस बार भी प्रचार से दूर रख सकती हैं, हालांकि, बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने हेगड़े के विवादों के बोझ से छुटकारा पा लिया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी कैंपेन की कमान संभालने की वजह से पार्टी सीट को बरकरार रखने में कामयाब हो सकती है.

(नाहीद अताउल्ला बेंगलुरु में स्थित एक वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हैं. यह एक ओपिनियन आर्टिकल है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

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