भाजपा हो या कांग्रेस ! मुख़्तार अंसारी ने दोनों दलों के नेताओं की हत्या करवाई, मगर फिर भी जेल से ही चलती थी गुंडई
भाजपा हो या कांग्रेस ! मुख़्तार अंसारी ने दोनों दलों के नेताओं की हत्या करवाई, मगर फिर भी जेल से ही चलती थी गुंडई
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका है। 60 साल के मुख्तार अंसारी की तबीयत बीते कई दिनों खराब चल रही थी, लेकिन गुरुवार रात को उसे अचानक से हार्ट अटैक आया और डॉक्टर की पूरी टीम भी उसे नहीं बचा सकी। इस वक़्त पूरे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट है और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इमरजेंसी मीटिंग बुला ली है कि कहीं मुख़्तार के समर्थकों द्वारा कहीं बवाल न हो जाए। हालाँकि, कल रात ही मुख़्तार के घर के बाहर हज़ारों की भीड़ जुटी थी, जो मुख़्तार अंसारी जिंदाबाद के नारे लगा रही थी, वे लोग मुख़्तार को शहीद बता रहे थे। अब मुख़्तार किस जंग में शहीद हुआ था, और कौनसी बॉर्डर पर, किस पैमाने से उसे शहीद माना जाए ? शायद केवल मजहबी चश्मे से ही उसे शहीद कहा जा सकता है। जैसे उसके समर्थक कह रहे हैं। 

 

ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश की सियासत में और खासकर पूर्वांचल में मुक्तार अंसारी के नाम की तूती बोलती थी। राजनीति का अपराधीकरण करने में तो मुख़्तार का नाम अव्वल था ही, इसके साथ-साथ कई बड़े अपराध भी उसके नाम दर्ज थे। यूपी पुलिस की मानें तो, मुख़्तार अंसारी पर हत्या, लूट, जैसे संगीन अपराधों के 65 से अधिक मामले दर्ज थे। हम यहाँ मुख़्तार अंसारी के कुछ हाई प्रोफाइल मामलों के बारे में जानते हैं। 

अवधेश राय की हत्या :-

बात जब भी मुख्तार अंसारी के अपराधों की बात सामने आती है, तो सबसे पहले अवधेश राय हत्याकांड का जिक्र आता है। दरअसल, कांग्रेस नेता अवधेश राय देश को 3 अगस्त 1991 को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया था। 33 वर्ष पूर्व हुए हत्याकांड ने यूपी में दहशत फैला दी थी और मुख्य आरोपी के तौर पर मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया। ये घटना वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लहुरा पीर इलाके में हुई थी। 3 अगस्त की रात कांग्रेस नेता अवधेश राय अपने भाई अजय राय के साथ घर के बाहर खड़े हुए थे। दोनों भाई, किसी बात पर चर्चा कर रहे थे, मगर तभी एक तेज रफ्तार वैन वहां आई और कुछ बदमाशों ने उसे गाड़ी से उतरकर ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी। उस गोलीबारी में अवधेश राय की मौत हो गई। उस हत्याकांड के फ़ौरन बाद कांग्रेस नेता के भाई अजय राय ने पुलिस में केस दर्ज करवाया, जिसमे मुख्य आरोपी मुख्तार अंसारी था। 

 

रिपोर्ट के अनुसार, उस समय चंदासी कोयला मंडी में मुख्तार वसूली का काम करता था, वहां से वो अकूत धन कमा रहा था। मगर, कांग्रेस नेता अवधेश राय भी क्षेत्र में एक दबंग व्यक्ति थे, साथ ही वो अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह के भी करीबी थे। उस वक़्त अंसारी और उसकी वसूली की बीच में कांग्रेस नेता अवधेश राय आ चुके थे। अंसारी के जो दूसरे गुर्गे वसूली में शामिल थे, उन्हें भी सभी के सामने अवधेश ने जलील किया था। ऐसे में रंजिश तो पहले से थी, नाराजगी चरम पर थी और मौका देकर मुख्तार अंसारी ने अवधेश राय का क़त्ल करवा दिया। उस मामले में अंसारी को दोषी पाया गया और कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ये भी गौर करें कि, शासन-प्रशासन में मुख्तार अंसारी की पकड़ और दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, माफिया ने इस केस से बचने के लिए अदालत से 'केस डायरी' ही गायब करवा दी थी। लेकिन फिर कोर्ट ने बिना ओरिजिनल केस डायरी के ही फैसला सुनाया। 

कृष्णानंद राय हत्याकांड:

कृष्णानंद राय हत्याकांड से पूरा यूपी दहल गया था। एक मौजूदा विधायक की अंसारी ने हत्या करवा दी थी, 400 से अधिक गोलियां चली थीं, एक-47 बरामद हुई और सड़कें खुनखुन हो गईं। उस हत्याकांड में कुल 6 लोगों को मुख्तार अंसारी के गुर्गों ने गोलियों से भून दिया था। इस दुश्मनी की कहानी साल 2002 में शुरू हुई थी। तब गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट पर सबसे बड़ा राजनितिक उलटफेर हुआ था। जिस सीट को मुख्तार अंसारी का अभेद किला माना जाता था, वहां से भाजपा के कृष्णानंद राय ने बड़ी जीत दर्ज की थी। घर में मिली शिकस्त, मुख़्तार को चुभ गई और शुरुआत से ही कृष्णानंद राय और उसके बीच में एक अदावत देखने को मिली।

कुछ वक़्त बीता, एक तरफ मऊ में मुख्तार अंसारी ने अपना रुतबा कायम किया, तो भाजपा के अंदर हिंदूवादी छवि की वजह से कृष्णानंद राय भी कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते गए। मगर वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने कृष्णानंद राय को चेतावनी दी थी। उनकी जान को खतरा है, ये बताया गया था। इसी बीच जब कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम से वापस घर लौट रहे थे, कुछ हथियारबंद लोगों ने उनके काफिले को घेर लिया। एके-47 और कई दूसरे ऑटोमैटिक हथियार से ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई, जिससे मौके पर 6 लोगों की लाशें बिछ गईं। कृष्णानंद राय भी मृत मिले, जब पोस्टमार्टम हुआ तो किसी के शरीर से 60 गोलियां निकलीं तो किसी के शरीर से 100। कृष्णानद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी ने फोन पर किसी से कहा था कि 'चोटी काट ली है, जय श्री राम ... मुठ्ठी पर है।' दरअसल, कृष्णानद राय चोटी रखते थे और हत्या के बाद उनकी चोटी काट ली गई थी। 

 

ये तो बड़े नाम थे, नेता भी थे, इसलिए ज्यादा लाइट में आए, मगर इसके अलावा मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या, मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह की हत्या, 1996 में गाजीपुर के एसपी शंकर जायसवाल पर जानलेवा हमला, 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला कारोबारी रुंगटा का किडनैप, ये कुछ ऐसे अपराध थे, जिनके मुक़दमे मुख्तार अंसारी के नाम दर्ज थे। हैरानी की बात ये है जेल के अंदर रहते हुए भी मुख्तार अंसारी पर आठ आपराधिक केस दर्ज हुए थे। जेल में भी उसका रुतबा इतना था कि, उसने अपनी पसंदीदा मछली खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया था, बड़े बड़े अधिकारी जेल में उसके साथ बैडमिंटन खेलने आया करते थे और सलाखों के पीछे भी मुख़्तार पूरे ठाठ से रहता था और अपने आपराधिक कामों को अंजाम देता रहता था। क्योंकि उसे सत्ता का वरदहस्त प्राप्त था। 

मुख़्तार अंसारी और कांग्रेस:-

बता दें कि, उमर अंसारी और विधायक अब्बास अंसारी के पिता माफिया मुख़्तार अंसारी के कांग्रेस के साथ पुराने पारिवारिक संबंध रहे हैं, गैंगस्टर के दादा मुख़्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। और 10 साल तक देश के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी, मुख़्तार के चाचा हैं। हामिद अंसारी पर भी उपराष्ट्रपति रहते समय R&AW एजेंट्स की जान खतरे में डालने के आरोप लगे थे। कांग्रेस से इन्ही संबंधों का नतीजा था कि, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुख़्तार को अपनी जेल में रोके रखने के लिए हर संभव कोशिश की थी। बाद में पता चला था कि, पंजाब सरकार मुख़्तार को जेल में VIP ट्रीटमेंट दे रही थी। पंजाब की AAP सरकार में मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने दावा किया था कि, पूर्व की कांग्रेस सरकार ने मुख़्तार को जेल में VIP ट्रीटमेंट दिया और 55 लाख रुपए सुख-सुविधाओं पर खर्च किए।

बता दें कि, मुख्तार पंजाब की जेल में 2 साल 3 महीने तक बंद रहे। बाद में अदालत के आदेश पर मुख्तार को यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। बता दें कि मुख़्तार अंसारी पर हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती के कई मामले दर्ज हैं, जिसमे से अकेले 302 यानी हत्या के ही 18 मामले हैं, ये तो वो मामले हैं, जो पुलिस थानों के रिकॉर्ड में हैं, इसके अलावा न जाने कितने और अपराध होंगे, जो राजनीति की सफ़ेद पोशाख में छुपे हुए होंगे और सियासी संरक्षण के चलते दबा दिए गए होंगे।  

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