Prajatantra: पंजाब में किसी बैसाखी के सहारे नहीं रहना चाहती BJP, इस रणनीति से मिलेगी जीत

By अंकित सिंह | Mar 29, 2024

भाजपा को उत्तर भारत का पार्टी कहा जाता है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तर भारतीय पार्टी होने का तमगा लेने के बावजूद भी भाजपा खुद को उत्तर क्षेत्र के प्रमुख राज्य पंजाब में अब तक मजबूत नहीं कर पाई है। भाजपा पंजाब में 2019 तक शिरोमणि अकाली दल के ही सहारे रही। किसान आंदोलन के दौरान दोनों दलों की दूरी हुई। भाजपा और अकाली दल के बीच जब गठबंधन था, तब पार्टी राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से केवल 23 पर ही चुनाव लड़ पाती थी। वहीं 13 लोकसभा क्षेत्र में से तीन पर अपना दावा रखती थी। लेकिन यह बात भी सच है कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी-शाह की जोड़ी आने के बाद पंजाब में भाजपा ने अपनी जमीन बनाने शुरू कर दी थी। किसान आंदोलन के समय जब अकाली दल से गठबंधन टूटा उसके बाद भाजपा पंजाब में आक्रामक दिखाई दे रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे पंजाब से उम्मीद भी है। 

 

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कांग्रेस में टूट को भाजपा ने भुनाया

पंजाब में खुद को मजबूत करने के लिए भाजपा ने कांग्रेस में नाराज चल रहे नेताओं को अपने पाले में लाने की शुरुआत कर दी। नवजोत सिंह सिद्धू और तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच रार के बाद कांग्रेस ने अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद से हटाया जिसके बाद वह नाराज हो गए थे। भाजपा ने मौका देखते हुए अमरिंदर को अपने पाले में कर लिया। सुनील जाखड़ जोकि पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते रहे हैं, वह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, उन्हें भी भाजपा ने अपनी पार्टी में समाहित किया और वर्तमान में उन्हें पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंप रखी है। अमरिंदर और जाखड़ के साथ कई कांग्रेस के बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए। सुनील जाखड़ जमीनी स्तर पर राज्य में पार्टी को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रहे जयवीर शेरगिल ने भी भाजपा का दामन थामा और उन्हें भी बड़ी जिम्मेदारी दी गई। 


भाजपा का खोजी अभियान

कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सुनील जाखड़ के नेतृत्व वाली भाजपा अब किसी रोक-टोक की स्थिति में नहीं है। पार्टी अपने दम पर खड़े होने की स्थिति में है। भाजपा, जो अपनी दीर्घकालिक रणनीतियों और आक्रामक प्रचार के लिए जानी जाती है, पंजाब के सभी 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों से सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को चुन रही है। हाल में कांग्रेस के लोकसभा सदस्य, तीन बार के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस की एक अन्य लोकसभा सदस्य, कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पत्नी परनीत कौर हाल ही में भाजपा में शामिल हुई हैं और उन्हें उनके पटियाला निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारे जाने की संभावना है। ऐसी अटकलें हैं कि पार्टी नेता अन्य लोकप्रिय या संभावित उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के एकमात्र सांसद सुशील कुमार रिंकू जिन्होंने पिछले साल जालंधर से उपचुनाव में सीट जीती थी, वह भी भाजपा में शामिल हो गए। दिलचस्प यह है कि जालंधर लोकसभा क्षेत्र से आप उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा होने के बाद भी उन्होंने पार्टी बदल दी। उनके साथ AAP विधायक शीतल अंगुराल जो दलित नेता है, वह भी पार्टी में शामिल हुए। 

 

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सिख समुदाय पर फोकस

पंजाब में खास करके सिख समुदाय को साधने के लिए भाजपा लगातार रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगे हुए हैं। लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद भी हरदीप सिंह पुरी को बड़ी जिम्मेदारी केंद्र में दी गई। इसके अलावा अमेरिका में राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू को भी भाजपा में शामिल कराया गया। साथ ही साथ ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रधानमंत्री खुद गुरुद्वारे पर पहुंचे हैं। उनकी सरकार ने साहिबजादों के बलिदान को ध्यान में रखते हुए वीर बाल दिवस मनाने का भी ऐलान किया। प्रधानमंत्री खुद सिख समुदाय के अलग-अलग प्रतिनिधियों से लगातार मुलाकात भी करते रहते हैं। बातचीत का वीडियो भी साझा किया जाता है। जब अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हुआ था उस दौरान भी हमने देखा कैसे सिख समूह को वहां से निकलने में मोदी सरकार ने अहम भूमिका निभाई। 

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