जेहन को झखझोर देने वाली 16 दिसंबर 2012 की वो खबर आज तक हर नागरिक को चुभती है , मगर आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि `निर्भया` के साथ सबसे क्रूर अत्याचार करने वाले नाबालिग ` दरिंदे मोहम्मद अफ़रोज़ ` को इस बात का कोई अफ़सोस नहीं है | आपको मालूम होगा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उस दरिंदे को बीते रविवार रिहाई दे दी गयी है | मगर जिस सुधार गृह में वह रहा है वहां के स्टाफ का कुछ और ही कहना है | सुधार गृह के कर्मचारियों के मुताबिक़ अपराधी के चेहरे पे हमेशा एक घृणित चुप्पी ही रही , न तो उसे अपने किये का कोई अफ़सोस रहा और ना ही कोई संवेदना जो अन्य बाल अपराधियों में होती है | जब वह अपराधी बना था तब उसकी उम्र साढ़े 17 साल थी अब वह 21 का हो चुका है | जिन लोगों ने उसे बड़ा होते देखा है उनका कहना है कि वह एक बड़ा अपराधी बन सकता है |
सुधार गृह के मोविज्ञानिकों का भी मानना है कि जिस तरह की पृवत्ति अफ़रोज़ की है वह समाज में आज़ाद नहीं रखा जा सकता है | मनोचिकित्सकों की मानें तो अफ़रोज़ के खतरनाक होने का प्रमाण इस बात से मिल जाता है , कि सुधार गृह में कोई भी बच्चा उससे दोस्ती नहीं रखना चाहता था | इतना ही नहीं कॉउन्सिलिंग के दौरान भी वो मनोचिकित्सकों से यही कहता था कि मैं अकेला रहना चाहता हूँ | ये सभी बातें भविष्य में अन्य लड़कियों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती हैं, इस पर विचार शायद उन लोगों ने नहीं किया होगा जो उसकी रिहाई के पक्ष में हैं |
सुधार गृह के अन्य बालकों का भी यही कहना है, कि वह न तो साहित्य के प्रति कोई लगाव रखता था और न ही उसे सुधार गृह में अपने बंदी होने का कोई पछतावा था | वह बेफिक्र खाता , घूमता और सोता था | उसकी अम्मी उससे निरंतर मिलने आती थीं , जिससे वह काफी बातें किया करता था | सुधार गृह के अधिकारी उसे उसके गाँव में वापस भेजने को लेकर शंकित हैं, वहीं उसके निडर और कॉन्फिडेंट स्वाभाव ने कई सवालों को जन्म दे दिया है |
मोहम्मद अफ़रोज़ वही है जिसने रॉड से पीड़ित की हत्या की थी | और उसके बेशर्म वकीलों ने वयस्क होने में छः महीने की कमी को मुद्दा बना कर , उसे अपराधी से बाल अपराधी घोषित करवा दिया | हैरत की बात ये है कि अफ़रोज़ की वकील एक महिला है | मोहम्मद अफ़रोज़ समाज में किस रूप में दाखिल होगा, आगे क्या क्या करेगा इस पर भी न्यायालय ने पर्दा डाल दिया है| अफ़रोज़ का चेहरा किसी ने नहीं देखा , ऐसे में आम जनमानस उससे सावधान भी नहीं रह सकता | वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दरिंदे अफ़रोज़ को एक सिलाई की मशीन और दस हज़ार रुपये देने का एलान किया है | न्यायालय अपनी जगह खड़े हैं , राजनीति अपनी जगह कायम है, बस संवेदनाओं का ही शायद इस माहौल में कोई स्थान नहीं |