जीवन में सेक्स की अहमियत हम सभी समझते हैं, और यह भी खूब समझते हैं कि इसे दबाने पर ये और बढ़ता है , महिलाओं के लिए विशेषकर सेक्स एक आवश्यक पहलू है ; बिना सेक्स के जीवन की परिकल्पना संभव नहीं पुरुष सेक्सोन्मुख होकर किसी भी क्रिया को अपना लेते हैं किन्तु महिलाओं को हर क्रिया या दशा अनुकूल लगे ऐसा संभव नहीं ; तो आइये जानते हैं कौन सी हैं वे बातें जो महिलाओं में सेक्स को लेकर डर पैदा करती हैं :
लडकियां सेक्स के प्रति स्वाभाविक नहीं होतीं , कम से कम 50 प्रतिशत लड़कियों को शादी से पहले ही सेक्स क्रिया के बारे में पता नहीं रहता है। कुछ लड़कियों को सेक्स क्रिया के बारे में अपने सहेलियों से, किताबों से, फिल्मों से तथा कई प्रकार के संचार माध्यमों से पता लग भी जाता है। लेकिन इसके बारे में उसे पूर्ण रूप से तभी जानकारी मिल पाती है जब वह खुद सेक्स करके देखती है। जब विवाह हो जाने के बाद स्त्री के साथ पति सम्भोग क्रिया करने की कोशिश करता है तभी स्त्री इसके बारे में ठीक प्रकार से जान पाती है कि यह क्या चीज होती है।
पुरुषों के लिए सेक्स एक क्षणिक उत्तेजना शांत करने का माध्यम होता है, वहीं औरतों के लिए यह अत्यंत गंभीर विषय होता है। सेक्स के दौरान महिलाएं अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर देती हैं, लेकिन अक्सर पुरुष सेक्स संबंधों के दौरान भावनाओं में नहीं बहते। उनके लिए महज शारीरिक संतुष्टि ही काफी होती है, वहीं महिलाएं भावनात्मक रूप से पार्टनर से जुड़ जाती हैं
यह डर सेक्स करते हुए महिलाओं के लिए सबसे बड़ा डर होता है। अक्सर पुरुष कंडोम का प्रयोग नहीं करते। कई बार सेक्स संबंध इतने अचानक बन जाते हैं कि कुछ सोचने का मौका नहीं मिलता। प्रेग्नेंसी का डर सेक्स के दौरान भी और बाद भी महिलाओं की चिंता का सबसे बड़ा कारण होता है।
पुरुष इस मामले में लापरवाह होते हैं, मगर स्त्रियां इस बारे में शंका रखती हैं ; जागरूकता अब हर किसी तक पहुँच चुकी है और इस हद तक पहुँच गयी है कि शंका ही स्वाभाव बन चुका है, मगर यौन रोगों के प्रति ये शंका अति उचित है
पुरुषों की फंतासी अलग अलग होती है, मगर पुरुषों को महिलाओं की इच्छा को समझना चाहिए, पोर्न फिल्म की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए , जरुरी नहीं आपको अतिउत्तेजना का सेक्स पसंद हो तो स्त्री को भी वह पसंद ही आएगा । आप सिर्फ अपनी संतुष्टि से मतलब न रखें। यह एक स्वार्थी रवैया है। महिलाएं संवेदनशील व्यवहार से संतुष्ट होती हैं, उनकी इच्छा जानकर उस हिसाब से क्रिया करें
यह महिलाओं के डर का बहुत बड़ा कारण है। सेक्स मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं में सेक्स की इच्छा काफी बढ़ जाती है, पर उन्हें लगता है कि इस अवस्था में अगर सेक्स किया तो पता नहीं इससे क्या समस्या पैदा हो जाए। दूसरे, पीरियड्स के दौरान पुरुष भी महिलाओं के साथ सेक्स करने में रुचि नहीं लेते। पीरियड में सेक्स नहीं करना चाहिए, यह एक गलत धारणा है। इस दौरान सेक्स करने से कुछ भी नहीं होता। इसलिए महिलाओं को इस डर से मुक्त हो जाना चाहिए।
सभी स्त्रियों में लज्जा की भावाना अधिक होती है। जिस कारण सेक्स क्रिया की बात तो दूर की बात है, आलिंगन आदि स्पर्श में भी वह विरोध करने का प्रयत्न किया करतीं हैं ; चाहे उनकी कामवासना तेज भी हो जाए तभी वह इस रात को अपनी उत्तेजना को रोकने की पूरी कोशिश करती हैं, वह सोचती है कि मैं जिसे अब तक सुरक्षित रख पाई हूँ उसे सहज होकर किसी को कैसे सौंप सकती हूँ?