मोदी सरकार को बने पूरे डेढ़ साल हो चुके हैं, कई आलोचना प्रशंसाओं के दौर भी गुज़रे हैं ; अक्सर ये सवाल पूछा जाता है कि वादानुसार "अच्छे दिन " कब आएंगे ? सरकार के विभिन्न मंत्रालयों पर इन `अच्छे दिनों ` का भारी दबाव है ।बीते साल के हंगामों और सियासी ड्रामों के बीच इन मंत्रालयों के उत्कृष्ट काम उतना ध्यान आकर्षण नही पा सके जिसके वे हकदार थे ; चाहे यमन में फंसे भारतीयों को विदेश मंत्रालय द्वारा सकुशल घर पहुँचाना हो, या फिर नेपाल त्रासदी में खुद प्रधानमंत्री का तुरंत राहत कार्य शुरू करवाना हो, या फिर रक्षा मंत्रालय की सतर्कता से म्यांमार में घुस कर आतंकियों को ठिकाने लगाना हो, ऐसे कई कार्य सभी मंत्रालयों ने किये जिनकी प्रशंसा की जानी थी ; मगर रेल मंत्री सुरेश प्रभु की यात्रियों की मदद के लिए अति सक्रियता ने इन दिनों सभी का मन मोह लिया है; सिर्फ ट्वीट भर करने की देर होती है और रेल विभाग मंत्री जी के आदेश पर यात्री की सेवा करने को उपलब्ध रहता है ।मालूम हो बीते दिनों ट्रैन में छेड़छाड़ से पीड़ित एक लड़की ने रेल मंत्री से ट्वीट कर गुहार लगाई थी, और अगले ही स्टेशन पर सुरक्षा कर्मियों ने मनचलों को दबोच लिया; इसके अलावा एक छोटे बच्चे के लिए दूध की व्यवस्था न हो पाने पर मंत्री जी के आदेश से ट्रैन में दूध उपलब्ध कराया गया।
मगर शायद जनता से सरकार का ये जुड़ाव कुछ अराजक तत्वों को रास नहीं आ रहा, जिस कारण वे इसमें खेल खेलनी की कोशिश कर रहे हैं, आइये देखते हैं मामला क्या है :
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