भारत भूमि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विविधताओं के लिए विश्व भर में मशहूर है | प्रकृति ने इस देश को बड़ी ही खूबसूरती से सजाया है, पर्यटन के लिहाज़ से यूं तो कई रमणीक स्थल हैं भारत में , मगर ये प्रमुख दस जगहें आपको एक बार जरूर देखनी चाहिए -
लद्दाख, उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता है, जहाँ का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है। गॉडविन आस्टिन (K2, 8,611 मीटर) और गाशरब्रूम I (8,068 मीटर) सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ हैं। यहाँ की जलवायु अत्यंत शुष्क एवं कठोर है। वार्षिक वृष्टि 3.2 इंच तथा वार्षिक औसत ताप 5 डिग्री सें. है। नदियाँ दिन में कुछ ही समय प्रवाहित हो पाती हैं, शेष समय में बर्फ जम जाती है। सिंधु मुख्य नदी है। जिले की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है।
शिवपुरी मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो ग्वालियर से 113 कि॰मी॰ की दूरी पर है। यह एक पर्यटक नगरी है और यहाँ का सौंदर्य अनुपम हैँ। शिवपुरी की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने के लिए यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते है।
पंचगनी का अर्थ है पांच पहाडियों से घिरा हुआ स्थान। यह महाबलेश्वर से केवल 38 मीटर नीचे 1334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये 38 मीटर के अंतराल एक ओर कृष्णा नदी के सुंदर दृश्य दिखाते हैं और दूसरी ओर तटीय मैदान फैले दिखाई देते हैं। पंचगनी पुराने युग की चीजों से सजा हुआ आवासीय पर्वतीय स्थल है। यहां ब्रिटिश कालीन भवनों की वास्तुकला, पारसी घर और बोर्डिग घर देखे जा सकते हैं जो यहां एक शताब्दी से अधिक समय से मौजूद हैं। वेनिश युग की झलक पाने के लिए कुछ पुराने ब्रिटिश और पारसी घरों में जाने की विशेष व्यवस्था की जाती है। पंचगनी एक ऐसे दुर्लभ स्थानों में से एक है जहां आकर किसी को पछतावा नहीं होता और वह अपने अवकाश का पूरा आनंद उठाता है।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी मध्य भारत का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां के हरे-भरे और शांत वातावरण में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके साथ ही यहां शिवशंकर के कई मंदिर भी है, जो आपको तीर्थयात्रा का सुकून देते हैं। वैसे तो ऐसा बहुत कम होता है कि आप कहीं छुट्टी मनाने जाएं और लगे हाथ आपकी तीर्थयात्रा भी हो जाए। लेकिन यकीन मानिए, अगर आप मध्यप्रदेश के एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल पचमढ़ी जाएंगे, तो प्रकृति का भरपूर आनंद उठाने के साथ आपकी तीर्थयात्रा भी हो जाएगी।
धर्मशाला की ऊंचाई 1,250 मीटर है। यहां से बर्फ की पर्त आसानी से देखी जा सकती है। सूर्य की किरणें जब इस बर्फ पर पड़ती हैं तो उनकी चमक से घाटी में एक सुंदर इंद्रधनुष बनाता है और लोग इसे देखते रह जाते हैं। यह पर्वत 3 तरफ से कस्बे से घिरा हुआ है और यह घाटी दक्षिण की ओर जाती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, चाय के बागान और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से दलाई लामा ने अपना अस्थायी मुख्यालय यहां बनाया, धर्मशाला की अंतरराष्ट्रीय ख्याति भारत के छोटे ल्हासा के रूप में बढ़ गई है।
दार्जिलिंग कस्बे से 13 किलो मीटर की दूरी पर 2590 मीटर (8482 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और इस स्थान को कंचनजंगा पर सूर्योदय और महान पूर्वी हिमालय पर्वत के मनमोहक दृश्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धी मिली है। यहां तक कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी यहां से देखी जा सकती है। इसे पर्वतीय स्थलों का बादशाह कहा जाता है। सिलिगुड़ी से आने वाली खिलौना रेल को बच्चे और बूढ़े दोनों ही पसंद करते हैं। यह वास्तविक मौजमस्ती खिलौना रेल के जरिए दार्जिलिंग आने पर है। जापानी शांति के प्रतीक पगोडा बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरण प्रस्तुत करते हैं। एक अन्य आकर्षण राष्ट्र का सबसे पुराना यात्री रोपवे है जो उत्तरी बिन्दु को सिंघला बाजार से जोड़ता है।
कूर्ग को भारत का स्कॉटलैंड और दक्षिण का कश्मीर कहा जाता है, जहां कि सहज लोक कला और शांत वातावरण शहरी जीवन की कठिनाइयों से एक दम अलग है। कूर्ग को लोगों तथा प्रकृति, दोनों की सुंदरता के लिए अनेक समान और प्रशंसाएं प्राप्त हुई हैं। यह मनोहारी, आकर्षक कस्बा समुद्र तल से 5 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो आपको चौंका देने वाले दृश्य दिखाता है। कोडागू (कूर्ग) का मुख्यालय मेडीकेरे में है। कोडागू भारत का अत्यंत सुंदर पर्वतीय स्थान माना जाता है और यहां विश्व की सर्वोत्तम कॉफी, शहद और मसालों का उत्पादन भी होता है।
पीलिंग 2150 मीटर (7200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। शक्तिशाली हिमालय और कंचनजंगा को पीलिंग से काफी नजदीक देखा जा सकता है। पीलिंग ऐसा आधार बनाता है जहां से पर्वतारोगी और अनेक रोमांचक खेलों के शौकीन व्यक्ति पश्चिमी सिक्किम में कठिन और दुर्गम चढ़ाइयां करते हैं। पीलिंग के आस पास की भूमि अभी अछूती है और यहां एल्फाइन वनस्पति पाई जाती है जिसके साथ पहाडियों के आस पास अनेक जल प्रपात बहते हैं। ठण्ड के मौसम में पीलिंग में बर्फ की चादर भी कभी कभार दिखाई देती है।
यदि कभी मौका मिले तो एक बार ब्रज में होली मनाकर देखिये , वृन्दावन में अनगिनत मन्दिर हैं और यदि कहा जाय कि वृन्दावन मन्दिरों का ही नगर है तो यह गलत नहीं होगा, तकरीबन पांच लाख से भी अधिक मंदिरों की गिनती वाले ब्रज का केंद्र वृन्दावन ही है |
भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी के समुद्र तट से होने वाले सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा अपने आप में अदभुत है | एक बार इस नज़ारे को देखने के बाद आप जीवन भर नहीं भूलेंगे |