हर चीज की एक उम्र होती है , मगर प्यार की उम्र नहीं होती | प्यार की बस दीवानगी होती है , बस जुनून होता है | हालाँकि प्रेम तो अमर है , मगर शिद्दत इसकी हड्डियाँ हैं जो धीरे धीरे बूढी होती जाती हैं | एक वो दौर हुआ करता था , जब प्रेम पूजा होता था और उसके पुजारी प्रभो मिलन की चाह करते - करते ही मोक्ष को प्राप्त हो लेते थे | एक जरा सा इजहार करने के लिये किताबों भर मैटर लिखते रहते और फाडते रहते थे, फिर भी प्रेम पत्र को फाइनल टच नहीं मिल पाता था। और इतने बीच में कब उनके प्रियतम ब्याह के चले जाते थे , उन्हें पता ही नहीं चलता था। और आज जो जमाना है वो है फास्ट से भी फास्ट वाला जमाना । जिसमें दो तरह के प्रेमी होते हैं :- एक वे ,जो ये वाले आर्टिकल्स का इंतज़ार किये बिना ही प्रप्रोज आदि करके अपना प्यार पा लेते हैं | एक वो होते हैं , जो इन्तेजार करते हैं कि कोई तो धक्का देके गाडी स्टार्ट करा दे । तो आज हम आपको धक्का देंगे , मतलब कि बताएंगे इजहार करने के कायदे और फायदे :-
1. पहले तो ये तय कर लें कि , प्यार आपका है और इजहार भी आप ही करेंगे ! इसलिए विशेषज्ञों ओर एजेंटों की तलाश बन्द कर दें ! क्यों कि सामने वाले के लिये ये बहुत मायने रखता है , कि आप में अपनी बात और अपने प्यार को खुद जुबाँ देने की हिम्मत है या नहीं ?
2. दूसरा :- मुहूर्त ना तलाशें । अब आप राजे - राजकुमारियों वाले फील लेकर ये ना सोचें कि , प्रेम की रुत आयेगी तब प्रेम निवेदन भेजेंगे। चूकि जमाना फास्ट है और टेक्नालॉजी सुपर फास्ट। जिसे आप मोहल्ले का प्यार समझ रहे हो, वो कब इंटरनेशनली कमिटेड हो जाये आपको पता भी नहीं चलेगा ! इसलिये जब भी मौका मिले रिलैक्स मूड में बता दो उसे।
ये सबसे जरुरी मुद्दा है ! अच्छे - अच्छे राधे भय्या यहीं लडखडा जाते हैं। इस समय आपके मन की मजबूती का परीक्षण होता है! आपका एक गलत इम्प्रैशन आपके पूरे प्यार को शून्य पे ला सकता है। ये जरुरी नहीं कि आपका इजहार सामने से ही होना चाहिए, टेक्नोलॉजी ने सुविधा दे रखी है ; जिससे आप अपने दिल की बात पूरी तैयारी और कॉन्फिडेंस से बता सकते हैं, चैट्स में या फ़ोन पर , माध्यम कोई भी हो सकता है |
यदि आप उसके लिए अजनबी हैं , मतलब आप लोगों में कभी कोई बात नहीं हुई है ; तो सीधे इज़हार करने की बेवकूफी न कीजिये | प्यार के लिए दोस्ती से होकर गुजारिये, चाहे तो पहले फेसबुक आदि पे फ्रेंड्स बनिए फिर उसका भरोसा जीतिए तब इस स्टेप पर आइये |
अपने इजहार को फिल्मी रुप न दें, जैसे आप हैं उसी शैली में प्रपोज करें, बाद में जब फिल्म उतरती है तो रिश्ते बहुत कडवे हो जाते हैं। कोई भी अपने लिये चालाक प्रेमी नहीं चाहता ,हर कोई भोलेपन की इच्छा करता है। इसलिये इजहार में सादगी और प्राकृतिकता रखिये!
पहला प्रयास आखिरी नहीं होता इसलिये उस पर ऐसा कोई प्रभाव ना छोड़ें जिससे उसे अपना फैसला सही लगने लगे, मुस्कुरा कर विदा लें, और आने वाले सभी दिन उसका प्यार जीतने में लगा दें।
एक बार इनकार हो भी जाए फिर भी आप कोशिश करें कि उसकी पसंदीदा चीज़ों को अपनाएं जैसे उसकी पसंद की ड्रेस उसकी पसंद का खान पान आदि | जमाना कितना भी तेज क्यूँ न हो... प्यार सच्चा है तो मिलन पा ही लेगा !